अवैध धर्मांतरण केस: छह राज्यों से पकड़े गए 10 आरोपी... कोर्ट ने सभी को दस दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा

Illegal Conversion Case

Illegal Conversion Case

Illegal Conversion Case: उत्तर प्रदेश पुलिस ने मिशन अस्मिता के तहत अवैध धर्मांतरण, लव जिहाद, और रैडिकलाइजेशन जैसे गंभीर अपराधों को रोकने के लिए कड़ा रुख अपनाया है. डीजीपी राजीव कृष्णा ने बताया कि यह अभियान अंतरराष्ट्रीय जिहादी फंडिंग, डार्क वेब, और अन्य गुप्त नेटवर्क के जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधियों के खिलाफ है. इस मिशन के तहत पहले मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती जहांगीर आलम कासमी को यूपी एटीएस ने गिरफ्तार किया था. हाल ही में छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन के अवैध धर्मांतरण सिंडिकेट का भंडाफोड़ हुआ, जिसमें यूपी एसटीएफ और एटीएस ने दो और गिरफ्तारियां की हैं.

मार्च 2025 में आगरा के सदर बाजार थाने में दर्ज एक गुमशुदगी के मामले में जांच शुरू हुई है. दो सगी बहनों (33 और 18 वर्ष) की गुमशुदगी की शिकायत के बाद जांच शुरू की गई, जिसे बाद मामला साइबर थाने को स्थानांतरित किया गया. जांच में खुलासा हुआ कि यह मामला केवल गुमशुदगी तक सीमित नहीं था, बल्कि एक संगठित नेटवर्क से जुड़ा था, जो लव जिहाद, रैडिकलाइजेशन, और अवैध धर्मांतरण में लिप्त था.

इस नेटवर्क की फंडिंग कनाडा और अमेरिका से हो रही थी. पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वयं पर्यवेक्षण शुरू किया. साक्ष्य जुटाने के बाद सात आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया गया, और 11 विशेष पुलिस टीमें बंगाल, गोवा, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश में भेजी गईं. इस ऑपरेशन में 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.

ISIS से जुड़े तार

प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह नेटवर्क सुनियोजित तरीके से काम करता था और इसका मॉडस ऑपरेंडी ISIS की कार्यप्रणाली से मिलता-जुलता था. डीजीपी राजीव कृष्णा ने बताया कि इस नेटवर्क के सदस्य अलग-अलग भूमिकाएं निभाते थे. विदेश से फंड जुटाना और उसे चैनलाइज करना, सेफ हाउस उपलब्ध कराना, कानूनी सलाह देना, नए फोन और सिम कार्ड प्रदान करना, प्रलोभन और प्रेम जाल के जरिए कम उम्र की लड़कियों को फंसाना, धर्मांतरण के लिए दस्तावेज तैयार करना और रैडिकलाइजेशन को बढ़ावा देना.

नेटवर्क बनाकर करते हैं काम

इस ऑपरेशन में यूपी पुलिस ने एसटीएफ, एटीएस, अन्य राज्यों की पुलिस, और केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया. डीजीपी राजीव कृष्णा ने कहा कि आर्गेनाइज्ड क्राइम के नेटवर्क इसी तरह तोड़े जाते हैं. ये लोग अपनी पहचान छिपाकर लंबे समय तक धर्मांतरण की गतिविधियां चलाते थे. अब इस फूड चेन के ऊपरी लोगों के नाम भी पूछताछ के बाद सामने आएंगे.

यूपी पुलिस इस नेटवर्क की गहराई में जाकर और जांच कर रही है, ताकि इसके अन्य सदस्यों और विदेशी फंडिंग के स्रोतों का पता लगाया जा सके. पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने बताया कि इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है.